लेप्स- की नीति का तात्पर्य (Meaning)
लेप्स- की नीति का तात्पर्य (Meaning)
हिन्दू परम्परा के अनुसार यदि कोई राजा निसंतान मर जाता है तो उसके गोद लिए हुए पुत्र को उसकी सम्पति का वारिस माना जाता था . भारतीय राजा भी इस परम्परा का पालन करते थे . भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी के आने के बाद भी इस परम्परा का पालन होता रहा . 1825 में कंपनी ने स्वीकार किया कि वो हिन्दू परम्परा को मान्यता दे दी . 1842 में कानून में बदलाव करके कहा गया कि जिन राज्यों को अंग्रेजो का सरक्षण प्राप्त है उनको कंपनी से मुखिया से ओपचारिक मान्यता लेनी होगी . लार्ड डलहोजी ने भारत में आते ही सारे भारत का मूल्याकन किया . लार्ड डलहोजी के आने से पहले इसका कोई महत्व नहीं था परन्तु लार्ड डलहोजी ने इस प्रथा को गैर घोषित करके इस प्रथा पर रोक लगा दी .लार्ड डलहोजी के आने से पहले भारत में 3 प्रकार थे :-
सवतंत्र राज्य :- जिनका कंपनी के साथ कोए भी सम्बन्ध नहीं था .
मित्र राज्य :- जिनसे कंपनी केवल विदेशी मामलो के बारे में सहयोग करती थी .
आश्रित राज्य :- जो पूरी तरह कंपनी पर निर्भर थे .
लैप्स की नीति के द्वारा मिलाये गये राज्य
लार्ड डलहोजी ने गोद प्रथा को गैर घोषित करके इस प्रथा पर रोक लगा दी और इस पर आवशयक कदम उठाये और इस प्रकार अंग्रेजी राज्य का विस्तार शुरू कर दिया :
सतारा : सतारा के शासक की कोई भी संतान नहीं थी इस प्रकार उसने पुत्र गोद लेने के लिए कंपनी के पास एक पत्र लिखा . लार्ड डलहोजी ने उसको मान्यता देने से इंकार कर दिया . सतारा के शासक की मृत्यु 1848 में हो गई . इस प्रकार 1848 में सतारा इस नीति के द्वारा अंग्रेजी राज्य में मिलाया गया . सतारा भारत का पहला राज्य था जो सबसे पहले अंग्रेजी राज्य का हिसा बना .
संभलपुर : संभलपुर वर्तमान में उड़ीसा का (Area) है यह पहले भोसले की रियासत का हिस्सा होती थी . 1849 में यंहा के राजा की मृत्यु के बाद यंहा की रानी ने पुत्र लेने की बजाय स्वय ही शासन की बागडोर अपने हाथो में ले ली . इस प्रकार लार्ड डलहोजी ने इसको रानी के जीते जी इस राज्य को अंग्रेजी राज्य में मिला लिया .
जैतपुर :- जैतपुर वर्तमान में आगरा के नजदीक का क्षेत्र है . जैतपुर के शासक की मृत्यु 1849 में हो गई . जैतपुर के शासक की कोई भी संतान नहीं थी . इस प्रकार उसने पुत्र गोद लेने के लिए कंपनी के पास एक पत्र लिखा . लार्ड डलहोजी ने उसको मान्यता देने से इंकार कर दिया . इस प्रकार लार्ड डलहोजी ने जैतपुर को 1849 में अंग्रेजी राज्य का हिसा बना .
उदयपुर :- उदयपुर के शासक पर अंग्रेजो ने ब्रिटिशकर्मियों की हत्या का आरोप लगाया गया उनको जेल भेज दिया गया और उनके राज्य पर अंग्रेजो का प्रत्यक्ष शासन स्थापित हो गया इस प्रकार 1852 में उदयपुर पर भी अंग्रेजो के नियन्त्रण हो गया .
नागपुर :- नागपुर के शासक राघो जी की कोई भी संतान नहीं थी इस प्रकार उसने पुत्र गोद लेने के लिए कंपनी के पास एक पत्र लिखा . कंपनी ने उसके पत्र पर उसकी मृत्यु तक कोई भी निर्णय नहीं लिया . इस प्रकार राजा की मृत्यु के बाद रानी ने यशवन्त राव को गोद ले लिया परन्तु लार्ड डलहोजी ने उसको मान्यता देने से इंकार कर दिया . इस प्रकार लार्ड डलहोजी ने नागपुर को 1853 में अंग्रेजी राज्य का हिसा बना .
झाँसी :- झाँसी पहले पेशवा के राज्य का हिस्सा था . कंपनी ने अलग करके यंहा पर रामचन्द्र राव को यंहा का स्वतंत्र शासक बना दिया . बाद में उसके पोत्र की मृत्यु बिना पुत्र गोद लिए हो गई . राव गंगाधर की 1853 में मृत्यु के बाद झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई ने आनद राव को गोद ले लिया . परन्तु लार्ड डलहोजी ने उसको गैर घोषित करके झाँसी को अंग्रेजी राज्य का हिन्सा बना लिया .
इस प्रकार डलहोजी ने कंपनी का भारत में प्रत्यक्ष शासन स्थापित हो गया . लार्ड डलहोजी ने करौली को भी अंग्रेजी राज्य मिलाने का प्रयास किया परन्तु कंपनी के संचालक मंडल के कारण इसमें असफल हो गया . इस प्रकार हम कह सकते है कि लार्ड डलहोजी का मुख्य ध्यान अपने साम्राज्य की सीमा का विस्तार और कंपनी को सर्वोच्च करना था .
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