1.नागर और द्रविड़ शैली के मिश्रित रूप को वेसर या बेसर शैली कहते हैं।#समरांगणसूत्रधार में# वाराट शैली ,हार्डी ने #कर्णाट द्रविड़ शब्दावली का प्रयोग मिलता हैं। 2.इस शैली के मंदिर #विन्ध्य पर्वतमाला से #कृष्णा नदी के बीच निर्मित हैं। 3.इस शैली का उद्भव #बौद्ध चैत्यों से हुआ। 4.इन मंदिरों का निर्माण #सातवीं से आठवीं शताब्दी के बीच में शुरू हुआ जो कि 12वीं शताब्दी तक चला। 5.बेसर शैली को #चालुक्य शैली भी कहते हैं। 6.#उत्तरी कर्णाट एवं #दक्षिणी कर्णाट इसकी उपशैली हैं। 7.इस शैली में विमान शिखर छोटा एवं रेखाकृत, छत गजपृष्ठाकर, फ़ैले कलश, मूर्तियों का आधिक्य, अलंकरण परम्परा का बाहुल्य, #प्रदक्षिणामार्ग का अभाव ही इनकी विशेषता है। 8.बेसर शैली के विकास का श्रेय मुख्यतयः #चालुक्यों व #होयसल शासकों को जाता है। 9.बेसर शैली में शिखर को नागर शैली तरह ,मण्डप को द्रविण शैली के अनुसार बनाया गया है। 10.वेसर शैली के मंदिर, मुलायम व कठोर पत्थरों के मिश्रण से बने हैं। 11.वेसर शैली के प्रमुख मंदिरों में #वृन्दावन का वैष्णव मन्दिर (जिसमे गोपुरम हैं),ऐहोल का मंदिर, बेलूर का द्वार समुद्र मंदिर, सोमनाथपुरम का ...